
ये कहानी है शिक्षा की, शिक्षा, एक आठ साल की लड़की, गरीब घर से थी और वो बहुत खुश थी कि उसका दाखिला सरकारी स्कूल में हो गया था। लेकिन, शिक्षा के मन में कुछ सवाल थे, शिक्षा की बात अपने टीचर के साथ एक दिन कुछ यूं हुई:
शिक्षा: मैडम, मैं स्कूल तो आती हूँ, लेकिन मैं बड़े होकर बनूँगी क्या, यह मुझे मालूम नहीं!
मैडम: क्यों, तुम इंजीनियर, डॉक्टर,वैज्ञानिक, टीचर कुछ भी बन सकती हो!!!
शिक्षा: लेकिन, मैं तो घर जाकर खाना बनाती हूँ, बाबा के पाँव दबाती हूँ, और बाबा कहते हैं कि भैया को तो काम करना है, मैं तो बियाह दी जाऊँगी एक दिन!!!
मैडम (मुस्कुराते हुए): तुम्हारा तो नाम ही शिक्षा है, तुम जहां भी जाओगी, तुम सब जगह ज्ञान ही फैलाओगी!!!
शिक्षा: नहीं मैडम, बताइये ना! मैं कभी कुछ बन भी पाऊँगी या नहीं?
मैडम: हाँ, बिलकुल बन पाओगी, आने वाला कल इस पर निर्भर करता है कि आज हमारी पसंद क्या है। जो तुमने काम बताए, हम वो सब काम करते हैं अपनी नौकरियों के साथ, फर्क सिर्फ इतना है, तुम्हारे बाबा गरीब होने के कारण,ये खर्चे उठा नहीं सकते हैं, तो इसी वजह से तुम्हारे से करवाते हैं?
शिक्षा:मैडम फिर मुझ से ही क्यों?
मैडम: हां, तुम से ही क्यों, यही सोच तो बदलनी है और यह बदलेगी तुम्हारे पढ़ाई करने से!!!
शिक्षा: लेकिन, हम गरीब क्यों है मैडम?
मैडम: तुम्हारा कहना है कि तुम्हारे बाबा के पास पैसा कम क्यों है?हर इंसान गरीब नहीं होता या समान दर्जे से गरीब नहीं होता, कुछ लोग पैसे से गरीब होते हैं, कुछ लोग दिल से गरीब होते हैं और कुछ लोग किसी तरह की भूख से गरीब होते हैं, किसी के पास ज़्यादा पैसा होता है और किसी के पास कम।
शिक्षा: मेरे बाबा के पास कम क्यों है?
मैडम: चलो एक कहानी से समझते हैं इस फर्क को !
एक बार सिकंदर पूरी दुनिया से लड़ाई करता हुआ और जीत कर राज करने निकला। एक के बाद एक हर देश या राष्ट्र पर उसने कब्जा कर लिया और बहुत खुश था। जब वो हिमालय पर्वत पर पहुंचा, तो वहाँ उसे गौतम बुद्ध मिले। गौतम बुद्ध एक साधना में लीन थे और चेहरे से बहुत सुखी और खुश दिखाई दे रहे थे। दोनों ने एक दूसरे को बड़ी आश्चर्यजनक नज़रों से देखा।
सिकंदर ने कहा, “कैसे इंसान हो,किस बात को लेकर खुश हो जब कि तुम एक वैरागीबनकर अपना जीवन व्यर्थ कर रहे हो!!!”
गौतम बुद्ध बोले, “तुम कैसे मूर्ख हो जो पूरी दुनिया पर कब्जा करने निकले हो और जिस दुनिया का कोई मतलब नहीं,जो केवल एक छल है एक मिथ्या है, जिसे पाकर तुम खुश हो रहे हो!!!”
वह दोनों अपनी अपनी जगह सही थे, फर्क था तो केवल नज़रिये में, गौतम बुद्ध अपनेएकांतवासमें धनी थे और सिकंदर,भौतिकवादी दुनिया में धनी थे,वह फिर भी एक दूसरे की नज़रों में गरीब थे….
शिक्षा: इसका मतलब, मेरे बाबा गरीब इसलिए हैं जहां सभी को समांतर खर्चे झेलने पड़ते हैं वहाँ उनके मुक़ाबले वो कम कमाते हैं…
मैडम: हां, और इसलिए भी क्योंकि वो पढे-लिखे नहीं हैं। इस दुनिया में याद रखनाकि अमीरी और गरीबी का फर्क सिर्फ शिक्षा से ही मिट सकता है!!! और अब ये देश बदल रहा है, अब किसी को भी अनपढ़ रहने की नौबत नहीं है!!! और जब यह देश अनपढ़ नहीं रहेगा, तो गरीब क्यों होगा?
शिक्षा: देश कैसे बदल रहा है, बाबा कहते हैं, 70 साल पहले भी गरीबी थी और आज भी है, तब लोग किसी और के गुलाम थे, आज पैसे के गुलाम हैं!!!
मैडम: हां शिक्षा, जो इस देश पर बीता है, उसे ठीक करने में तो समय लगेगा। लेकिन ‘शिक्षा’ के फैलने से ही हमारा कल सुधरेगा!!!
शिक्षा: लेकिन अभी कितना वक़्त और लगेगा यह बदलाव आने को?
मैडम: शिक्षा, तुम्हें एक पेड़ क्या देता है?
शिक्षा: फल, फूल, लकड़ी और छांव!!!
मैडम: अब बताओ, अगर एक बंजर ज़मीन पर पेड़ उगाना हो तो क्या चाहिए?
शिक्षा: खूब सारी मेहनत, हल,पानी, सूरज और समय!!!
मैडम: शाबाश,देखा, सब कुछ चाहिए एक पौधे का पेड़ बनाने के लिए। हमारे देश में मेहनत है लोगों के हाथों में,‘हल’ है हमारी तकनीक,पानी है मुश्किल से मिलता पैसा और सूरज है ज्ञान। सिर्फ एक चीज़ जिसे हम रोक नहीं सकते वो है, समय!!! और समय दो बदलाव आ जाएगा।
शिक्षा: अच्छा, लेकिन, सोच बदलने में किस बात का समय?हमें तो ऊंचे घरों वाले गंदी नज़र से देखते हैं, हम अच्छी जगह खा नहीं सकते, खेल नहीं सकते, ऐसा क्यों?
मैडम: सोच हमेशा समय के साथ बदलती है, और सिर्फ एक की ही नहीं पूरी मानव सभ्यता की बदलती है!!!
शिक्षा: वो कैसे?
मैडम: चलो, बंदरों की सोच कैसे बदलती है जानें एक और कहानी से!!!
एक बार, एक कमरे में 4 बंदरों को बंद किया गया और बीच में एक सीढ़ी रख दी गई। सीढ़ी के ऊपर एक केला रखा गया। अब जब भी कोई बंदर केले को पकड़ने के लिए ऊपर चढ़े, तो सभी बंदरों पर पानी की बौछार हो जाए, हर बार ऐसा होने पर, सभी बंदर मिलकर चढ़ने वाले बंदर की खूब पिटाई करें। वरना, सभी बंदरों पर खूब पानी की बौछार हो।
सब शांति से बैठ गए और किसी ने केला पाने की फिर कोशिश नहीं की।
तभी,इनमें से एक बंदर को निकाल कर एक नए बंदर को कमरे में डाल दिया गया। उसने केला देखते ही, चढ़ने की कोशिश जैसे ही की, बाकी सभी बंदरों ने मिलकर उसकी खूब पिटाई की, वो नहीं जान पाया की केला लेना क्यों नहीं है?
थोड़ी देर बाद,एक और बंदर को बदल कर, एक नया बंदर डाल दिया गया। उसके साथ भी यही हुआ और वो भी चुप-चाप बैठ गया। धीरे-धीरे, सभी बंदरबदरं बदल दिये गये और बस बैठे केले को देखते रहते थे बिना ये जाने के उसकी तरफ बढ़ने से पिटाई क्यों होती है। ये एक नया उदाहरणबन गया जहां किसी को केला नहीं चाहिए, और पानी की बौछार का तो किसी को मालूम ही नहीं था।
इसी तरह, कुछ समय में सबकी सोच बदल जाती है।
शिक्षा: लेकिन बंदरों के साथ तो अच्छा नहीं हुआ, उनकी सोच सही दिशा में नहीं बदली मैडम!!!
मैडम: हां, अब ये तो ज़रूरी है कि सोच सही दिशा में बदले। लेकिन कैसे, क्या तुम बता सकती हो?
मैडम (पूरे उत्साह के साथ): हां, स्कूल जाने से और पढ़ाई लिखाई करने से!!!
मैडम: हां शिक्षा, अब बदलेगी सोच…
शिक्षा: लेकिन मैडम, ये रोहन तो स्कूल में आ कर भी नहीं पढ़ता है, शरारतें करता है और किसी की बात भी नहीं मानता…
मैडम (हँसते हुए): तुम्हारे और तुम्हारे भाई के बीच ज़्यादा शरारती कौन है?
शिक्षा (एक भोली सी सूरत के साथ): मैं हूँ मैडम…
मैडम: लेकिन अपने बाबा की बात मानती हो न…
शिक्षा: हां मैडम
मैडम: तो फिर चिंता मत करो, रोहन भी हमारी बात मान जाएगा और सुधर जाएगा!!!
शिक्षा: मैडम, पढे लिखे लोग धर्म के नाम पर क्यों लड़ते हैं?
मैडम: शिक्षा, पूरी दुनिया सिर्फ तीन चीजों के लिए लड़ती है, जर, जोरू और जमीन। धर्म के नाम पर तो लड़ाई करवाई जाती है!!!
शिक्षा: ये तीनों क्या हैं?
मैडम: जर मतलब पैसा, जोरू मतलब बीवी और जमीन मतलब घर या कोई जगह या उस जगह का हिस्सा।
शिक्षा: तो क्या धर्म की लड़ाई खत्म की जा सकती है?
मैडम: हाँ,शिक्षा, ‘‘शिक्षा’ से!!!
शिक्षा (मुस्कुराते हुए): और वो कैसे?
मैडम: हमारे तिरंगे में कितने रंग हैं?
शिक्षा: तीन!!!
मैडम: कौन कौन से, बताओ?
शिक्षा:: केसरिया, हरा और सफ़ेद। और अशोक चक्र नीले रंग में।
मैडम: शाबाश! अब सोचो ये हरा रंग है अगर मुसलमानों का, और केसरिया रंग है अगर हिंदुओं का, तो इनको कौन से रंग जोड़ कर रखते हैं?
शिक्षा: सफ़ेद और नीला।
मैडम: और सफ़ेद और नीला तुम्हें कहाँ देखने को मिलते हैं एक साथ?
शिक्षा: समुंदर और आसमान में!!!
मैडम: आसमान है अनंत ज्ञान और समंदर है उस ज्ञान से मिली गहरी सीख। ये दोनों ही हम शिक्षा से हासिल कर सकते हैं; और जिस दिन ये समाज समुंदर और आसमान की तरह नीला और सफ़ेद रंग जैसा बन जाएगा, उस दिन मुसलमानों (हरे) और हिंदुओं (केसरिया) को हाथ लड़ने के लिए नहीं, मिलने के लिए उठाने होंगे!!!
शिक्षा: हां, बिलकुल, हमारे तिरंगे की तरह जहां तीनों रंग एक दूसरे से जुड़े हुए हैं!!!
मैडम: और शिक्षा, हमारा तिरंगा ही तो हमारे देश का प्रतीक है, है न?
शिक्षा: जी मैडम, जय हिन्द!!!
मैडम: जय हिन्द!!!
मैडम: अच्छा शिक्षा, अब क्या तुम मुझे बता सकती हो कि बड़े हो कर तुम क्या बनना चाहोगी?
शिक्षा: मैडम, मैं और पढ़ाई करूंगी और फिर सोचूँगी कि एक दिन मुझे बड़ा हो कर क्या बनना है जिससे मैं पैसा कमा सकूँ!!! लेकिन फिलहाल मेरा सपना है कि मैं एक दिन आप जैसा अच्छा इंसान बन सकूँ और लोगों को सही राह दिखा सकूँ न सिर्फ कमाने के लिए लेकिन काबिल बनने के लिए भी।
मैडम: अरे वाह शिक्षा, कुछ सीख तो तुमने मुझे भी दे दी!!!
शिक्षा: और वो क्या मैडम?
मैडम: यही, समझदारी की कोई उम्र नहीं होती, बंद आँखों से अपने लिए सपना देखना एक बात है, लेकिन खुली आँखों से सब के लिए सपना देखना बहुत बड़ी बात है!!!
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